Haryanvi Kahavaten | bujargon ki kahi Haryanavi kahavaten
बुड्ढे कह गए सुथरी नार,,
हाथ मे हथियार,,,एक तरफ़ा प्यार,,,,
और फददू यार...
.
ले के #बैठण के होव है।।
कुछ काम की बात जो म्हारे दादे -परदादे
बता के गये सै...
1 . जो शरीर नै तंग करै वो खाणा ठीक नही
वेवक्त घरां गैर के जाणा ठीक नही!
2 . जार की यारी वेश्या का ठिकाणा ठीक नही !
ख़ुशी के टेम पै मातम का गाणा ठीक नही !!
3. बीर नै ज्यादा मुंह के लाणा ठीक नही !
बेटी हो घर की शोभा घणा घुमाणा ठीक नही !!
4 पास के धन तै काम चालज्या तै कर्जा ठाना ठीक नही !
भाईचारे तै रहना चाहिए बेबात गुस्सा ठाना ठीक नही !!
5 . सुसराड जमाई . बेटी कै बाप और गाम मैं साला ठीक नही !
पछैत मैं बारना घर बीच मैं नाला ठीक नही!!
6 . ऐश करण नै माल बिराना ठीक नही
अर तिल हो धोले रंग का दाल मैं क़ाला ठीक नही !
और एक
हरियाणा कै बुजरगौ की काहवत है
कैरा जाट,काला पंडित, भुरा चमार, चामरा ठाकर खतरनाक होवै सै
ऐकला छौरा, ऊट बै मौहरा, दुर का नौहरा हमैशा तगँ ही करै है
काश की कायरी, पुलिशयै की यारी, गधै की सवारी कभी भी धौखा दै सकती है
भुरी चमारी,बुढी कुमहारी,जवान लुहारी छौ मै तावली आती है
पछीत मै आला, आखँ मै जाला, घर मै साला हमैशा सै धयगा
बीन बाजती, बीर नाचती, कौयल कुकानँती दील कौ मौहलैती है
बाहण कै भाई, सुसराड जमाई, पडौश मै कशाई डटणा आछा नही हौता
पुलीश की वफादारी, सालै की तरफदारी कभी नही करणी चाहीऐ
बुढा कुमहार, गाडीया लुहार,जुती गाठता चमार काबू मै नही आतै
टैकटर मैसी, घी दैशी,सुती खेशी जाट की पहली पसदँ हौव सै
चौरी जैसी कार नही {अगर मार नही हौ तौ}
जुऐ जैसी कार नही {अगर हार नही हौ तौ}
औरत जैसा वजीर नही {अगर बदकार नही हौ तौ}
अलकश नीदँ किसान न खौऐ,
चौर न खौऐ खाशी
बढता बयाज मुल न खावै,
बीर न खौऐ हांसी।
अगर "हरयाणवी " होने पर गर्व है,तो इस एस एम एस को
इतना Share करो, कि ये हर "हरयाणवी " के मोबाइल में
हो.........
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